कौन थे चंपा और मेथी?
चंपा मेथी राजस्थान के वे कलाकार थे जो खुद ही गीतकार संगीतकार और गायक थे।। वे अपने गीत खुद लिखते और गाते थे। उनकी सुरीली आवाज में वो जादू था जिसने मारवाड़ में हर तबके के लोगो को पसंद आया।
जीवनी
चंपा-मेथी की जुगलबंदी का आज भी कोई विकल्प तैयार नही हुआ हैं ! राजस्थान व खासकर मारवाड़ क्षेत्र में इस जोड़ी की प्रसिद्धी के सामने लता - रफी की जोडी भी पानी भरती नजर आती थी. कहते हैं उस दौर में मारवाड से जितनी टेप कैसेट रिकॉर्डिंग होती थी, उनमें सर्वाधिक चंपा मेथी की होती थी!
उपलब्धियाँ
इनकी प्रसिद्धी व कार्य को देख कैसेट निर्माता टी-सीरीज के मालिक गुलशन कुमार स्वयं मुम्बई से इन्हें व्यक्तिगत मिलने के लिए आये थे! उनकी जुगलबंदी में गाया गया एक-एक गीत यहां के लोगो के दिल में आज भी गुंज रहा हैं !
इनके गीतों ने आम आदमी के दिल में जगह बनाई उसकी खास वजह थी कि, इनके गीतो का भाव व उनकी कल्पना मारवाड के जन-जीवन व संस्कृति को छुने वाली होती थी ! इस जोड़ी ने राजस्थान और खासकर मारवाड़ के तमाम रितिवाज से लेकर यहां की सुख-दुख की घटना, सभी त्यौहारों व फसलों से लेकर उन्होंने विभिन्न कल्पनाओं पर अपने गीत गाये हैं | उन्होंने उस समय के हर वीर पुरुष की गाथा और उस समय के गरीब तबका मीना जाति की जो दयनीय दशा थी उसको भी अपने गीत के माध्यम से आमजन को बताया।
रचनाये
जहाँ तक जानकारी है चंपा ने दो शादी की थी। चंपा की मृत्यु टीबी के कारण और मेथी की हत्या हुई थी । जो उसके ही परिवार के आपसी रंजिश में मारी गई थी । ये जोड़ी जीवन के अंतिम क्षणों में साथ नही रह पाई ।
इनके द्वारा गाये गये गीत आज भी मारवाड़ के हर व्यक्ति की जुबान पर हैं। इनमें प्रमुख रूप से जो मुझे याद आ रहे है उसमें -
- काकर माते केवड़ों बेठो.. केवड़ा रे लागा फूल...
- नीबड़े निबोली मोमा ... रूपलो रबारी ..
- कोनीया वेलीया ..
- नाथूसिंह ..
- बलबंतसिंह बाखासर ..
- इडोनी..
- मेनो ऋ गजकी ..
- भोज बगडावत ..
- रायचन्द ..
- शकुर खान
- ॐ पूरी ..
- बेडलो .. पनजी ..
- रामलाल मंसिडो...
- रो: हरिन रो.
- चूड़ी गजरों ..
- रिड़मल..
- विटी..
- मूमल...
- केसुलाल चंद्राणी छोरी कमली ..
- काकर माथे केवडो..
- कांगसियो