हेजेमनी के आनंदलोक की जर्जरता दिखाती ‘चाकरी चतुरङ्ग'

नई दिल्ली, 01 फरवरी: वरिष्ठ लेखक और प्रशासनिक अधिकारी ललित मोहन रयाल ने 'कारी तु कब्बि ना हारि' से जो लेखकीय ओज निर्मित किया था, वो उनके ताजा उपन्यास 'चाकरी चतुरङ्ग' में भी प्रज्ज्वलित है। रयाल, विधा की संरचनात्मक और रचनात्मक हदबंदियों

हेजेमनी के आनंदलोक की जर्जरता दिखाती ‘चाकरी चतुरङ्ग'
नई दिल्ली, 01 फरवरी: वरिष्ठ लेखक और प्रशासनिक अधिकारी ललित मोहन रयाल ने 'कारी तु कब्बि ना हारि' से जो लेखकीय ओज निर्मित किया था, वो उनके ताजा उपन्यास 'चाकरी चतुरङ्ग' में भी प्रज्ज्वलित है। रयाल, विधा की संरचनात्मक और रचनात्मक हदबंदियों